जीवन में शत्रु हों, एक नहीं कई कई हों और उनसे सहस टक्कर लें तथा विजयी हों यही जीवन की पूर्णता है आज भी इसकी प्राप्ति संभव है स्रुकास्रुक प्रव्हाम स्मशान निल्याम श्रुतयो: रावालंकृति श्रुतयो: सवालंकृतिम श्यामांगी कृतमेख्लाम शवकरेदेवीभजे कालिकाम ।। और जिसने भी इस प्रयोग को सम्पन्न किया उसे https://codyrhxnd.blogofchange.com/32747858/details-fiction-and-shabar-mantra