दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥ शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम https://shiv-chalisa-lyrics-in-gu44813.fliplife-wiki.com/3528820/the_greatest_guide_to_shiv_chalisa_lyrics_in_marathi